// एडवाइजरी //

इंवेस्टीगेशन एजेंसियों के नाम पर डिजिटल अरेस्ट कर ठगी के संबंध में सीधी पुलिस की एडवाइजरी

आइये जाने डिजिटल ठगी क्या है:- पिछले कुछ समय से मेरे समक्ष एक विशेष प्रकार के सायबर अपराधों की शिकायत देखने में आ रही है, जिसमें आम नागरिकों को किसी इंवेस्टीगेशन एजेंसी/संस्था के वरिष्ठ अधिकारी के नाम से कॉल व्हाट्सएप कॉल करके बड़े पैमाने पर ठगी की जा रही है।

ठगी करने का तरीका:-

1. पिछले कुछ समय से एक विशेष प्रकार का अपराध देखने में आ रहा है, जिसमें सायबर अपराधी कॉल अथवा व्हाट्सएप कॉल के माध्यम से संपर्क करते हैं। यह कॉल अधिकांशतः +92 (पाकिस्तानी) नम्बर या किसी अन्य देश के नम्बर (+91 के अतिरिक्त) से आते हैं।

2. संदिग्ध व्यक्ति कॉल करके आपको डराते हुये यह कहते हैं कि आपके PAN / AADHAR कार्ड का उपयोग करके पार्सल भेजा गया है, जिसमें नार्कोटिक्स (नशीली) सामग्री है।
3. जालसाज NCB/CBI/ED/NIA आदि इंवेस्टीगेशन एजेंसी के अधिकारी के नाम से बदल-बदल कर कभी कॉल, कभी व्हाट्सएप वीडियो कॉल करते हैं, और कहते हैं कि उन्होंने आपके नाम से एक पार्सल पकड़ा है, जिसमें नार्कोटिक्स (नशीली) सामग्री है।

4. जालसाजों द्वारा कभी आपको कोर्ट फीस देने या जमानत देने के नाम से अथवा आपका नाम केस से हटाने के नाम पर पैसे की मांग की जाती है।
5. कभी-कभी वीडियो कॉल पर पुलिस अधिकारी से बात करने को भी कहते हैं। वीडियो कॉल पर रहते हुये आपको एक फर्जी नोटिस दे दिया जाता है, जिसमें आपको डिजिटल अरेस्ट करते हुये घर में ही रहने को कहा जाता है। और कहा जाता है कि आप स्वयं को किसी कमरे में बंद करलें तथा उनके सभी सवालों के जवाब दें। यह भी कहा जाता है कि कैमरे के सामने ही रहना है, कमरे में यदि कोई और आया तो आप दोनों को गिरफ्तार कर लिया जायेगा।

6. धीरे-धीरे आपको और अधिक डराया जाता है और आपकी निजी व खातों तथा विभिन्न इंवेस्टमेंट की जानकारी आपसे ले ली जाती है। अंत में यह कहकर कि शायद आपको गलत फंसा दिया गया है, आप जांच पूरी होने तक अपना पैसा आरबीआई/भारत सरकार के खाते में जमा कर दें, जो जांच पूरी होने के बाद आपको लौटा दिया जायेगा। इस पूरी कार्यवाही के दौरान आपको न ही किसी से संपर्क करने का मौका दिया जाता है, न ही बाहर जाने दिया जाता है और इस प्रकार आपसे मोटी रकम जमा करा ली जाती है।

डिजिटल ठगी से बचाव के तरीके:-

1. अनजान नम्बर खासकर जो +92 से शुरु होते हों, से आने वाले कॉल, व्हाट्सएप कॉल/वीडियो कॉल, टेलीग्राम कॉल न उठाएं।

2. भारतीय कानून में डिजिटल अरेस्ट का कोई नियम नहीं है। अतः किसी के कहने पर या डर से खुद को कहीं बंद न करें।

3. अपनी निजी जानकारी जैसे बैंक खाते संबंधी, आधार आदि को किसी के साथ साझा न करें।

4. कोई भी संस्था आपसे आपका निजी पैसा किसी भी शासकीय खाते में जमा करने या सुरक्षित करने की सलाह नहीं देता। अतः कभी भी अपना पैसा किसी अनजान खाते में ट्रांसफर न करें।

5. यदि आपके साथ कोई सायबर अपराध घटित होता है तो उसकी शिकायत अपने नजदीकी पुलिस थाने में या www.cybercrime.gov.in या Cyber Crime Help Line (Toll Free) नम्बर 1930 पर करें।

डॉ. रविंद्र वर्मा, (भा.पु.से.) पुलिस अधीक्षक, जिला सीधी (म.प्र.)

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